हमर वाला 'अहाँ' (मैथिली कविता)

 हमर वाला 'अहाँ'

काश्यप कमल 

21/08/2022 

लगैत अछि जेना किछु हेरा गेल,

पौती में मूनल सिनेह छिरिया गेल ।


अहाँ रहितहु त हेराए नहि दितहुँ 

मूनल सिनेह छिरियाए नहि दितहुँ  । 


मुदा !

कोना कहू जे अहाँ नहि रही 

आँखि स देखल अहाँ साक्षाते रही । 


बड्ड सोचल त उत्तर भेटल - 

हमर बला  'अहाँ' नहि 

सबहक बला  'अहाँ' रही 

सबहक बला  'अहाँ' रही ....


* फोटो साभार -सुनीता झा 






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