रचा जा चुका है चक्रव्यूह
काश्यप कमल
20/10/2022
रचा जा चुका है चक्रव्यूह
जिसमें आचार्य नहीं है
अंगराज भी नदारद है
कृप की सहमति भी नहीं
अश्वथामा भी नकार चुका
फिर भी चक्रव्यूह रचा जा रहा है
नैष्ठित योद्धाओं के दम पर शकुनी ने रचा है
आचार्य के स्थान पर कपट ने धनु धरा है
अंगराज के रथ पर कुंठा,
सूर्पनखा ने अश्वथामा को पीछे छोडा है
फिर भी आज
अभिमन्यु व्यूह भेदन को उन्मुख
अकेले, खाली तुनीर लिए
बटोरकर साहस समस्त
सम्पूर्ण आवेग से
बढ़ रहा कुरुक्षेत्र में
रथ का घोड़ा भी
पहनकर सूर्पनखा का चश्मा भटका रहा
संयम औऱ कर्तव्य केवल दो अस्त्र के बल पर
जूझता रहा है
इस अनंत समर के व्यूह भेदन में
तीन पहर बीत जाने के बाद भी
इक्कीस ही रहा है इस समर में
पर क्या रह पाएगा?
विश्वास है
हाँ विश्वास है धनंजयपुत्र को
शिव पिनाक लेकर आएंगे
और युद्ध का अंत करेंगे
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