नाटक : टुटल तागक एकटा ओर (4th_performance)

अवसर - ग्वालियर नाट्य समारोह,  28 दिसंबर 2022, टाउन हॉल, महाराज बाड़ा, ग्वालियर 

रंग अभ्युदय (Rang Abhyuday)की प्रस्तुति "टुटल तागक एकटा ओर" लेखक-महेंद्र मलंगिया, निर्देशक-अभिषेक देवनारायण (Abhishek Dev Narayan) 

मंच पर - बिन्नी : सुनीता झा, पुरुष : काश्यप कमल, 

पार्श्व : प्रकाश - सोनिया, संगीत संयोजन – सुप्रीता वात्सायन, पेंटिंग्स – सर्वप्रिया झा, आभार : यदुवीर भारती, बजरंग मंडल, श्यामा चरण, मुकेश झा मिक्कू, स्व0 प्रणव नार्मदेय (कविता ‘संक्रमित सम्बन्ध’)

किसी टूटे हुए धागे के दोनों सिरों के सामने, क्या यह प्रश्न उठेगा कि टूटा हुआ सिरा वह खुद है...?  या यह,  कि जो टूटा हुआ है वह उस धागे का दूसरा सिरा है, वो नहीं... ? जीवन के पोले से टूटे हुए धागे के दोनों सिरों की कथा-व्यथा है यह नाटक। जैसे किसी पगडंडी के किनारे बरगद के पेड़ के नीचे गिरा हुआ एक घोंसला और चारो तरफ उड़ते हुए प्रेमी चिड़ा-चिड़ी के टूटे पंख। क्या घोंसला फिर से बसेगा या कि बवंडर में सबकुछ उजड़ गया?













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