उधार का चुकता होना (हिन्दी कविता )

 

उधार का चुकता होना

काश्यप कमल 02.06.2022


समय के आदेश पर रचित, इस अनूठे योजना का बनना
तीन पहर जीवन के बाद ही, हमारा यूं इस तरह से मिलना

क्या है ?
यह क्या है ?


उद्वेलित हो ठहर कर, भूत--भविष्य पर चिंतन करना
बीत रहे और बीत चुके के हाथों ही होता, सुखद भविष्य का निर्माण होना
हठात !

संयोग वा प्रयोग ? अचानक से एक घटना का घट जाना
अतीत की एक बंद बोरी से, उधार खाते-बही का मिल जाना
अनजाने-अनदेखे लेनदेन के, बाँकी होने का अहसास हो जाना

फिर काम-क्रोध-मद-लोभ का ही कारक का बन जाना
हृदय के अंदर ही अंदर एक आवाज का बुलंद होना
आत्मा की तृप्ति के लिए शर्त ही है उधार का चुकता होना

बगैर श्रम के स्मृति पटल पर उधार सूची का बन जाना
यह क्या है ?
यह क्या है ?
नियति ? लोभ? या और कुछ ?


जो भी हो, पर !
आत्मा की तृप्ति के लिए शर्त ही है उधार का चुकता होना।

 

पलटा बही का पन्ना  
पहले ही पृष्ट पर अंकित - गुड्डा-गुड़िया का खेल
उसकी शादी कराकर दोनों का घर बसाना
उसके बाद –

छुपम छुपाई में नहीं मिलने पर हमारा घबड़ा जाना
घबडाहट से नियम तोड़ खेल का, हठात प्रकट होना
खेल मे ही सही, खोने के डर से भयभीत होकर
अचानक मिलने कि खुशी से आँसू का आ जाना
एक ही आइसक्रीम से दोनों का मिलकर खाना
अंतिम कौर के लिए झपट्टा मार आपस में लड़ जाना
कभी पेंसिल, कभी पेन, तो कभी दोस्तों से बात करने पर रूठ जाना
मौसम का पहला पका हुआ आम छुप-छुपाकर एक-दूसरे को खिलाना
कोमल कल्पनाओं के खेल में ही सही
मेरा राजा और तुम्हारा रानी बन जाना
मेरा राजा और तुम्हारा रानी बन जाना
यह क्या है ?
यह क्या है ?

बही के अगले पन्नों पर अंकित था
तुम्हारे स्कूल का चक्कर लगाना
कॉलेज से भागकर थियेटर मे फिल्म देखना
लोगों में खुसुर फुसुर होते ही घर नाराजगी झेलना 

कभी बेलन तो कभी चप्पल से अपने ही घर में स्वागत होना
आजिज़ आकर हमारा अलग-अलग दुनियाँ बसाना

अपने-अपने दायरों में मशगूल हो इस बात का पता नहीं चलना

कि-कब और कैसे हमारे बीच
पति-पत्नी, दोस्त-प्रेमी, डॉक्टर-मरीज़ माता-पिता भाई-बहन
सहित अनेकों संबंध का उभर जाने के बाबाजूद

कुछ मुद्दों पर अभी भी असहमति को सहर्ष स्वीकार करना

 

आगे पन्ने पलटता गया, लिखी हुई को पढ़ता गया

कभी तुम्हारे उलझे बालों को कंघे से संवारना,
बाहर धूप से आने के बाद बालों का चंपी करना
नासाज तबीयत मे अपने हाथो से मालिश करना
तो कभी रुचि अनुकूल एक दूसरे का शृंगार करना
अपने-अपने काम से थककर वापस आने के बाद
उत्साह और उमंग से रोज़ ही हमारा एकाकार हो जाना

अपने बीच अनेकों अनसुलझे अनिर्णीत विवादित मुद्दे

पर निर्णायक विवाद के लिए समय अलग से रखना

भीष्म प्रण की तरह इस बात पर पर अटल रहना

की   
जीवन के अंतिम मुलाक़ात को भी, पहली मुलाक़ात सा महसूस कराना।
क्योंकि आत्मा की तृप्ति के लिए शर्त ही है उधार का चुकता होना।

उधार का चुकता होना।


काश्यप कमल 02.06.2022  

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