नाटक : सुनिते करैए हरान (मूल कथा हरिमोहन झाक “पाँच पत्र”) प्रथम प्रस्तुति (1st performance)

16 दिसंबर 2019, कालिदास रंगालय, पटना (चेतना रंग उत्सव)

मूल कथा हरिमोहन झा  “पाँच पत्र”

 नाट्य रूपान्तरण : महेंद्र मलंगिया


पुरुष (देवकृष्ण):   काश्यप कमल

स्त्री (राधा):    सुनीता झा

पुत्र (बंगट):   प्रशांत मण्डल

गीत स्वर – विनय शास्त्री, कल्याणी झा

संगीत: विनय शास्त्री

परिकल्पना आ निर्देशन : अभिषेक देवनारायन


प्रस्तुति : अछिञ्जल 

कथासार:

पांच गोट पत्र आ ओहि में आबद्ध एक गोट जीवन l पत्रक मादे नाटक एकटा दम्पतिक सम्पूर्ण जीवनक विविध रूप प्रस्तुत क’ रहल अछि l श्रृंगार, प्रेम, हास्य, मेल-विछोह आदि आदि जीवनक विविध राग-रंग, रस आ ओहि में सनिहायल दुविधा, कष्ट, कठिनाई सबहक सुन्नर संयोजन अहि नाटकक आत्मा अछि l कहानी आ नाटक दुनू माध्यम में जे कथ्य आ बिम्ब अछि ओकरा उचित आ प्रभावी शिल्प देबाक प्रयास भेलैक अछि l पात्र, काल, चरित्र-चित्रांकन, कथाक प्रवाह आकि घटना-क्रम मिथिलाक सामान्य जीवनक झांकी जंका अछि मुदा सम्पूर्ण जीवन के एकटा निश्चित कालखंड में नाट्यानुभव केनाय किछु विशेष अछि l पात्रक जीवन के रूप-रंग-राग-रस-रुदन आ ओहि में नुकायल संगीत l संभवतः रचयिता आ संप्रेषकक इ अनुभव पूर्ण आ अद्भुत भ जायत जखन ओहि भावनाक प्रवाह के प्रेक्षकक संग भेट जाय l प्रस्तुतिक मंच संभवतः जीवनक रंगमंच बुझाय जाहि में मंचक छोर एकटा विशाल दर्पण भ जाय आ ओहि में जीवन प्रतिबिंबित हुअए l एकटा अति-साधारण कथा, सामान्य लोक-जन, सामान्य जीवन, सबटा गप्प-व्यवहार साधारण मुदा ओकर भावना-वेदना-संवेदना अत्यंत नवीन-नूतन-मर्मस्पर्शी आ तैं इ अनुभव कुल-मिलाक’ विशेष l लेखकद्वय जे देलनि अछि, संप्रेषकगण ओकरा प्रेक्षक लोकिन धरि पहुंचाब’ के प्रयास क’ रहल छथि l अहि रसानुभव के रंजक वा स्मरणीय बनाब’ लेल प्रेक्षकक उन्मुक्त भागीदारी अपेक्षित अछिl रंगभवन जीवनक संसार भ’ जाय आ समस्त चेतन एकाकार!!   



 


















टिप्पणियाँ