नाटक: बेलक मारल (मैथिली)

 नाटक: बेलक मारल

17 अप्रैल 2022, विद्यापति भवन, पटना (चेतना रंग उत्सव 2022)

अभिनय - काश्यप कमल, यदुवीर यादव, दीपक ठाकुर, सुनीता झा, कल्पना मिश्र 

लेखक: सुधांशु शेखर चौधरी

निर्देशक : अभिषेक देवनरायन 

प्रस्तुति: अछिंजल

नाटकक सार: एकटा कहबी छै, ‘बेलक मारल बबूर तर गेल’ माने क्यो बेलक गाछ तर शरण लेने छल आ ओकर कांट सं बाचं’ लेल बबूर गाछ तर चलि गेल जाहि में कांटे-कांट लेभरायल रहै छै l कोनो समस्याक एकटा समाधान सं पीड़ित भेल लोक दोसर समाधान दिस उन्मुख भेल आ ओत ओहि सं कहूँ बेसी पीड़ा में ओझरा गेल l ई नाटक समाजक एकटा प्रमुख समस्या पर आधारित अछि – शारीरिक, मानसिक, आर्थिक आदि कतेको तरहें सताओल, सरकक कात रह” बला गृहविहीन, आ भीख पर गोजारा कर बला लाखक-लाख जर्जर लोकक दयनीय अवस्था आ ओहो स्थिति के अवसर, लाभ, सत्ता आ व्यापार मे बदलि देब बला काठक लोक सुन l छद्म मानवीय रूप धेने जे सब समाधानक अभिनय आ मंचन क रहल अछि ओ सब बबूरक कांट जंका दंश पर दंश देने जा रहल अछि l नाटक एक दिस समाजक हत्ता-कोंटा पर ठाढ़ अभिशप्त परित्यक्त समूह आ दोसर दिस ओकरा ओहि स्थिति में पहुंचाब’ बला आ ओकरा जेन-केन-प्रकारेण ओतहि सानि के राख’ बला बलगर समूहक ई दूटा धुरी के चित्रण क रहल अछि आ संगहि ओहि दुनू धुरी के जोड़ बला सेतु बनब’ के प्रपंच में लागल लोकक मनोभाव आ कृत्यक विश्लेषण क रहल अछि l नाटकक लेखन जहि कालखंड मे भेल अछि ओहि कालक परिस्थिति आ आजुक समय में मूल स्थिति कमो-बेश ओहिना, साज-सज्जा बदलल अछि मुदा मूंह-कान ओहिना, लोकक विचार, व्यवहार, सन्दर्भ, शक्ति-सम्बन्ध आदि के वेश-भूषा बदलल अछि मुदा अस्थि-पंजर ओहिना l तैं ई नाटक प्रासंगिक त अछिए आ एहन अछि जेना बरखो-बरख सं एकटा जाम भेल संदुकक ताला के कुंजी होय.... जाहि संदूक मे कतेको गुत्थी ओझराएल दबल अछि – अभिशप्त भेल!!          










  



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